उद्धव ठाकरे के मराठी मानुष दांव कैसे फंस गई बीजेपी

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उद्धव ठाकरे

लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुका है और अब इन तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं। महाराष्ट्र हरियाणा और झारखंड में उन तीन राज्यों में क्या होने जा रहा है किसकी सरकार बने जा रहा है उस तो बात करें लेकिन आज हम इन तीन राज्यों में सबसे बड़ा राज्य महाराष्ट्र के बारे में बात करने जा रहे हैं। जहां पर बीजेपी के 50 सीटें हासिल करना भी मुश्किल हो जाएगा।

उद्धव ठाकरे

उद्धव ठाकरे
उद्धव ठाकरे

 

 

तीनों राज्यों के चुनाव पर बीजेपी का मंथन

 

बीजेपी का इस समय तीनों राज्यों चुनाव पर मंथन चल रहा है, बीजेपी लगातार ही इस विषय पर मंथन कर रहा है। राज्य नेतृत्व के साथ बैठकर में सोचा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में  क्या गड़बड़ हो गया है। भूपेंद्र यादवभूपेंद्र यादव जो केंद्रीय मंत्री है उन्हें और अश्विनी वैष्णव को जिम्मा दिया है कि वह महाराष्ट्र की जिम्मेदारी संभाले प्रभारी और सह प्रभारी बनाया गया है।अश्विनी वैष्णव ने मराठी पत्रकारो के साथ ख़ास चर्चा भी किया और उस चर्चा लोकसभा में बीजेपी खराब प्रदर्शन कारण क्या रहें हैं वो भी जानने का प्रयास किया है।इस समय बीजेपी का फोकस है कि इन तीन राज्यों को जीतकर ये संदेश देने का अभी भी मोदी मैजिक समाप्त नहीं हो पाए हैं। इस बीजेपी रणभूमि पुरे प्लान के साथ उतरना चाहता है जो गलतियां हुईं उन गलतियों दुर करने में लगीं है। यह बताता है कि इस बार भाजपा पूरी तैयारी के साथ महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव में उतरेगी लेकिन फिर सवाल वही है कि बाहर के सेनापति  दम राज्य में भाजपा क्या कर रही सकतीं हैं। वहीं दुसरे तरफ़ महाविकास आघाड़ी जो उद्धव ठाकरे जी है शरद पवार जी है और कांग्रेस है। और कई एंगल से महाराष्ट्र को घेरने का प्रयास हो रहा है। जैसे कि मराठा आरक्षण जो कि इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी का महाराष्ट्र में साफ़ करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं है। वहीं इस आरक्षण आंदोलन निकलें एक ऐसा नेता जिसके कारण बीजेपी पूरा मराठवाड़ा साफ़ हो गया।  वहीं मनोज जरागे फिर इस बार एक नई मांग लेकर आ रहे हैं उन्होने कहा कि मराठों की जहा रिकॉर्ड में कुनबी लिखा हुआ है उनको तो कुनबी का सर्टिफिकेट देकर ओबीसी में लाना ही होगा क्योंकि महाराष्ट्र में कुनबी कास्ट ओबीसी में आती है। तो उन्होने कहा कि कई मराठे जिनका रिकॉर्ड कुनबी का है उन्हें भी आरक्षण मिलना चाहिए और मनोज जरागे यहां तक नहीं रुकते वो कहते मुसलमान मारवाड़ी लिंगायत ब्राह्मण भी कहीं भी कुनबी भी उनका कहीं उल्लेखहो तो भी उन्हें भी कुनबी का सर्टिफिकेट देकर  ओबीसी में मिलाना चाहिए । आपको ये बता दें कि महाराष्ट्र में कुनबी शब्द का प्रयोग खेती करने वाले जाति या वर्ग तौर जाना जाता है। पश्चिमी भारत में कुलीन शब्द प्रयोग किसानों की जातियों के लिए किया जाता है। और यही कारण है कि महाराष्ट्र में मनोज जरागे आरक्षण के मुद्दे पर कुनबी मुसलमानों को  रिजर्वेशन यह बड़ी बात उन्होंने कह दी कि जिनका कुनबी का रेफरेंस है। 

 

नरेंद्र मोदी कहते हैं धर्म आरक्षण नहीं देंगे 

 

वहीं मुसलमानो  को धर्म के नाम पर कतई आरक्षण नहीं दूंगा यह डंके की चोट पर कहने वाले नरेंद्र मोदी वर्तमान में सिर नीचे करके खड़े हैं क्योंकि आंध्र प्रदेश चंद्रबाबू नायडू जिनकी बैसाखी पर नरेंद्र मोदी जी इस समय प्रधानमंत्री कुर्सी पर है। उन्होंने 4 प्रतिशत आरक्षणमुस्लिमों को आंध्र प्रदेश में दें दिया जहां पर सरकार में भाजपा शामिल है। हर प्रदेश अलग कानून अलग कानून अब नहीं चलने वाला हैं। भाजपा केअलग अलग राज्य में अलग-अलग चेहरे नहीं चलेंगे इसलिए मनोज जरागे पाटील की यह डिमांड यकीनन इंडिया गठबंधन के लिए महाराष्ट्र में एक नया चिंता का विषय बनी हुई है। चुनाव तीन महीने पहले है और जरंगेपाटील बिल्कुल पूरे लड़ाई के मूड में है। लोकसभा में उनका इंपैक्ट बीजेपी को भयावह स्थिति में लेकर पहुंचाया है।  उसके बाद अजीत पवार जो इंडिया गठबंधन के हिस्सा है उन्होंने भी अपने भाषणों में और अपने सभी पार्टी के प्लेटफॉर्म पर ये बात कहते हैं कि शिक्षा में कम से कम मुस्लिमबच्चों को आरक्षण मिलना चाहिए ऐसे में मनोज जरागे पाटील खुद मुसलमानों को आरक्षण मांगरहे हैं दूसरी और अजीत पवार खुद आरक्षण मांग रहे हैं। इनके बीच में बीजेपी के लिए संकट है करे तो करें क्या करें यह बात अलग अभी तक इस संकट से बीजेपी नहीं निकल पाई थी एक तीर और चल गया और वो चला उद्धवठाकरे की शिवसेना से उद्धव ठाकरे के शिवसेना में अनिल परब एक एमएलसी है यानी विधान परिषद के मेंबर है उन्होंने एक प्राइवेट मेंबर बिल विधानसभा में पेश कियाउपाध्यक्ष के पास पड़ा है अनुमति के लिए और वो बिल क्या बोलता है वो बिल बोलता है कि महाराष्ट्र में जो भी नई हाउसिंग सोसाइटी बनती है या हाउसिंग बिल्डिंग्स बनती है‌। उसमें 50 मराठी के लिए आरक्षण रहना चाहिए। शिवसेना एमएलसी एक ऐसा दांव खेल लिया जिस निकलना आसान नहीं है। आखिर शिवसेना ठाकरे गुट के एमएलसी ने आरक्षण की बात क्यों की तो इसके पिछे वजह है कि जब दो गुजराती दिल्ली में राज करने लगे और वही मुंबई भी महाराष्ट्र भी संभाल रहे थे। और दिल्ली से ही शासित होने लगा तब यह हालत हो गई थी कि कई जगह पर मराठि हों को घर खरीदने में भी तकलीफ आ रही थी किराये लेने में भी समस्या आ रहा था क्योंकि जो मराठी गुजराती सोसाइटी रहे उन्होंने  वहां से खरेड़ा जा रहा था सोसाइटी के बाहर बोर्ड लगते थे कि मराठी को ना घर बेचा जाएगा ना ही किराए पर रखा जाएगा। उन लोगों का पक्ष था कि  मराठी मास मछ्ली खाते है इसलिए गूजराती सोसाइटी जगह नहीं दिया जा सकता था। 

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 दो गुजराती दिल्ली में बैठे हैं तो फिर

  दो गुजराती दिल्ली में बैठे हैं तो फिर मुंबई का भी गुजराती अपने आप को अमित शाह से कम नहीं समझता था। ऐसी कई कंप्लेंट आई है जो कि इस बात इशारा मुंबई बीजेपी ख़राब प्रदर्शन पिछे मराठी और गुजराती लड़ाई भी कारण रहा है। जो प्राइवेट मेंबर बिल शिवसेना सांसद तरफ़ लाया गया वो शायद विधायक से पास नहीं हो लेकिन इसी के साथ उद्धव ठाकरे ने वो दांव खेल लिया जिस मराठी मानुस को यह लगेगा कि फिर उद्धव ठाकरे मराठो मानुस की बात कर रहे हैं। वैसा देखा जाए तो मैं व्यक्तिगत रूप मुझे लगता है कि किसी भी सोसाइटी में जाति धर्म भाषा पंथ के नाम पर कोई आरक्षण  नहीं चाहिए और बेचने वालों को भी इसमें रिजर्वेशन नहीं रखना चाहिए। लेकिन मराठी मानुष का एक जो स्ट्रोक चला है तो ऐसा लग रहा है कि भाजपा के लिए राहें मुश्किल हो जाएगा। ये जो पूरा कुनबा है इंडियागठबंधन का जिसे महाराष्ट्र में महायुति कहा जाता है , उसके चाल कहीं ना कहीं ना एनडीए फंस चुका है। इस बार बीजेपी के पास ऐसा कोई भी मराठी चेहरा नहीं जो उद्धव ठाकरे या फिर शरद पवार जैसे बड़े नेताओं को पिछे छोड़ सकें। यूं कहिए कि महाराष्ट्र रण बीजेपी के लिए कठिन होता जा रहा है।

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